Digital Arrest : आजकल ऑनलाइन साइबर क्राइम के केस बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। साइबर क्रिमिनल आपके डर का फायदा उठाकर आपके साथ स्कैम कर लेते हैं, इसकी वजह से आपको डिजिटल अरेस्ट होना पड़ता है। ऑनलाइन किया गया इस प्रकार का क्राइम ही डिजिटल अरेस्ट कहलाता है। आपको इस प्रकार के क्राइम से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसके बारे में हम आपको सभी जानकारी इस आर्टिकल में प्रदान करेंगे।
Digital Arrest क्या है?
अगर आपको डिजिटल अरेस्ट के बारे में पता नहीं है तो आपको बता दें कि व्हाट्सएप के माध्यम से या ऑनलाइन माध्यम से कोई व्यक्ति पुलिस की वर्दी में, या सरकारी अधिकारी बनकर आपके इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं। वह फोन करके या मैसेज के माध्यम से आपको इस बात का यकीन दिलाते हैं कि आपके साथ कुछ गलत होने वाला है या किसी परिवारजन के साथ गलत होने वाला है।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे सुरक्षित रहें?
सबसे जरूरी बात है कि आपको डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए किसी भी अप्रत्याशित कॉल और मैसेज का जवाब बिल्कुल नहीं देना है। सबसे जरूरी बात है कि आपको किसी भी प्रकार के खातों में पैसा ट्रांसफर करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। अगर आप किसी भी वजह से डर जाते हैं तो यह डर ही उनका मुख्य हथियार होता है, ऐसे मैं आपको डरना बिल्कुल नहीं है।
हम सभी नेट बैंकिंग यूपीआई आदि का उपयोग करते हैं। इसकी वजह से हमारी बैंक डिटेल भी डिजिटल हो चुकी है। मोबाइल के माध्यम से हमारी इस डिजिटल जानकारी को साइबर क्रिमिनल चुरा सकते हैं। ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति लगातार फोन से चिपका रहता है और दूसरी तरफ उन्हें लगता है कि कोई सरकारी अधिकारी उनसे बात करता रहता है, जिससे वह बात करते रहते हैं।
बहुत सारे कैसे आ चुके हैं सामने
इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के केस की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक लड़की को डिजिटल अरेस्ट किया गया और उसकी 15 घंटे तक फोन से चिपक कर रहना पड़ा और इस दौरान उसकी इमोशनली ब्लैकमेल करके उसके जीवनभर की कमाई अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा ली।
क्यों हो रहे हैं साइबर क्राइम
इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की इस दुनिया ने सोशल मीडिया पर लोगों को बहुत ही नजदीक ला दिया है। साइबर अपराधी इसी बात का फायदा उठाते हैं और डिजिटल अरेस्ट क्राइम करते हैं। जहां पर फोन के माध्यम से हेयर पर की जाती है और पीड़ित को परेशान किया जाता है। आपको ऑनलाइन ठगने के लिए यह क्रिमिनल कोई सरकारी अधिकारी और सरकारी एजेंट के रूप में आपसे बात करते हैं।
कई बार ऐसा भी होता है कि पीड़ित के घर पर सरकारी पुलिस ऑफिसर द्वारा एक फर्जी अरेस्ट वारंट भी भेज दिया जाता है। इसके बाद पीड़ित की चिंता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में परेशान होकर उसे दूसरी व्यक्ति को चाही गई राशि उसके बैंक अकाउंट में भेजनी पड़ती है।
कैसे डरते हैं साइबर ठग
सरकारी अधिकारियों के रूप में आपको कई प्रकार के झूठे आश्वासन दिए जाते हैं। और आपको बताया जाता है कि अगर आपने कानून का पालन नहीं किया तो आपको जेल की सजा काटनी पड़ेगी। इसकी वजह से पीड़ित के मन की शांति विचलित हो जाती है और परेशान होकर वह इन साइबर क्रिमिनल के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर देता है।
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